वर्ण–विचार
हिन्दी भाषा में वर्ण वह मूल ध्वनि है, जिसका विभाजन
नहीँ हो सकता। भाषा की ध्वनियों को लिखने हेतु उनके लिए कुछ लिपि–चिह्न हैं। ध्वनियों के इन्हीँ लिपि–चिह्नों को ‘वर्ण’ कहा जाता है। वर्ण भाषिक ध्वनियों के लिखित
रूप होते हैं। हिन्दी में इन्हीँ वर्णों को ‘अक्षर’ भी कहते हैँ। इस प्रकार ध्वनियों का सम्बंध जहाँ भाषा के उच्चारण पक्ष से
होता है, वहीँ वर्णों का सम्बन्ध लेखन पक्ष से। हिन्दी भाषा
मेँ सम्पूर्ण वर्णों के समूह को ‘वर्णमाला’ कहते हैँ। हिन्दी वर्णमाला मे 44 वर्ण हैं जिसमें 11
स्वर एवं 33 व्यंजन हैं।
♦ स्वर :स्वर वे वर्ण हैं जिनका उच्चारण करते
समय वायु बिना किसी अवरोध या रूकावट के मुख से बाहर निकलती है। स्वर 11 हैं– अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।
यद्यपि ‘ऋ’ को लिखित रूप
में स्वर माना जाता है किन्तु आजकल हिन्दी में इसका उच्चारण ‘रि’ के समान होता है। इसलिए ‘ऋ’
को स्वरों की श्रेणी में सम्मिलित नहीँ किया गया है।
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